पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ महाशिवरात्रि मनाने के आध्यात्मिक कारण नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa